आइए इस नए वर्ष में कुछ नया करें....
नए साल के स्वागत के लिए हर ओर तैयारी चल रही है।होटल- रेस्टोरेंट्स में पार्टी का आयोजन किया जा रहा है तो घर में लोग पिकनिक मनाने या फिर आउटिंग का प्लान कर रहे हैं। हालांकि नया साल आने में कुछ दिन बाकी है। लेकिन क्या नया साल सिर्फ मौज-मस्ती के लिए ही है। या हमें अपनी खुशियां ही इतनी प्यारी है कि दूसरों की ओर देखना भी पसंद नहीं करते। अनुमान ऐसा होता है कि नए साल के पहले दिन युवा अपने दोस्तों के साथ पार्क या चिड़ियाघर या दियारा पर पिकनिक मनाने और मौज-मस्ती के लिए चले जाते हैं। पूरे दिन सेलिब्रेट करते हैं और शाम में घर आ जाते हैं। फिर अगले दिन से वही रोजाना का काम। कॉलेज जाने की टेंशन या फिर नौकरी के लिए भाग-दौड़। उनके चेहरे पर तनाव दिखने लगता है। इस कदर तनाव हावी हो जाता है कि उनके चेहरे पर खुशी गायब सी होने लगती है। लेकिन क्या यह सही है ? नया साल हमें यही संदेश देता है। जवाब है बिल्कुल नहीं।
नया साल हमें संदेश देता है कि जीवन में नएपन का। खुशियों व रिश्तों में नएपन का। कुछ ऐसा दूसरों के चेहरे पर भी खुशी आए। अगर हम प्रकृति के इस संकेतों को समझने व नए साल के संदेश को मानते हुए आगे बढ़ेंगे तो हमें सालों भर खुशियां मिलती रहेगी। इसके लिए हमें सालों भर खुशियां मिलती रहेगी। इसके लिए हमें बहुत ज्यादा पैसे खर्चने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। हम दोस्तों के संग में हजारों रुपए रेस्टोरेंट में आसानी से उड़ा देते हैं अगर इस बार नए साल पर दोस्तों के साथ उन्हीं रुपए को लेकर किसी भी अनाथश्रम या वृद्धश्रम जाएं और वहां रहने वाले को कुछ गिफ्ट या अपने मोहल्ले के गरीब बच्चों को जो पढ़ रहा है उसे किताब-कॉपी की जरूरत है और गरीब बच्चो जो पढ़ना के सही है रुपए के कारण व प्राइवेट स्कूल नहीं कर पा रहा है वह तो उसको प्राइवेट स्कूल में नामांकन करा दे तो कैसा रहेगा आप देखें खाने के खाने की वस्तु खरीद कर दे तो कैसा रहेगा आप देखेंगे कि अनाथों के चेहरे पर जो खुशी मिलेगी उससे आप के चेहरे पर मुस्कान आएगी उनकी आंखों के चमक आपके सालों भी रोशन करती रहेगी आजमा कर देखिए।
✍मोहम्मद हमजा अस्थानवी
नए साल के स्वागत के लिए हर ओर तैयारी चल रही है।होटल- रेस्टोरेंट्स में पार्टी का आयोजन किया जा रहा है तो घर में लोग पिकनिक मनाने या फिर आउटिंग का प्लान कर रहे हैं। हालांकि नया साल आने में कुछ दिन बाकी है। लेकिन क्या नया साल सिर्फ मौज-मस्ती के लिए ही है। या हमें अपनी खुशियां ही इतनी प्यारी है कि दूसरों की ओर देखना भी पसंद नहीं करते। अनुमान ऐसा होता है कि नए साल के पहले दिन युवा अपने दोस्तों के साथ पार्क या चिड़ियाघर या दियारा पर पिकनिक मनाने और मौज-मस्ती के लिए चले जाते हैं। पूरे दिन सेलिब्रेट करते हैं और शाम में घर आ जाते हैं। फिर अगले दिन से वही रोजाना का काम। कॉलेज जाने की टेंशन या फिर नौकरी के लिए भाग-दौड़। उनके चेहरे पर तनाव दिखने लगता है। इस कदर तनाव हावी हो जाता है कि उनके चेहरे पर खुशी गायब सी होने लगती है। लेकिन क्या यह सही है ? नया साल हमें यही संदेश देता है। जवाब है बिल्कुल नहीं।
नया साल हमें संदेश देता है कि जीवन में नएपन का। खुशियों व रिश्तों में नएपन का। कुछ ऐसा दूसरों के चेहरे पर भी खुशी आए। अगर हम प्रकृति के इस संकेतों को समझने व नए साल के संदेश को मानते हुए आगे बढ़ेंगे तो हमें सालों भर खुशियां मिलती रहेगी। इसके लिए हमें सालों भर खुशियां मिलती रहेगी। इसके लिए हमें बहुत ज्यादा पैसे खर्चने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। हम दोस्तों के संग में हजारों रुपए रेस्टोरेंट में आसानी से उड़ा देते हैं अगर इस बार नए साल पर दोस्तों के साथ उन्हीं रुपए को लेकर किसी भी अनाथश्रम या वृद्धश्रम जाएं और वहां रहने वाले को कुछ गिफ्ट या अपने मोहल्ले के गरीब बच्चों को जो पढ़ रहा है उसे किताब-कॉपी की जरूरत है और गरीब बच्चो जो पढ़ना के सही है रुपए के कारण व प्राइवेट स्कूल नहीं कर पा रहा है वह तो उसको प्राइवेट स्कूल में नामांकन करा दे तो कैसा रहेगा आप देखें खाने के खाने की वस्तु खरीद कर दे तो कैसा रहेगा आप देखेंगे कि अनाथों के चेहरे पर जो खुशी मिलेगी उससे आप के चेहरे पर मुस्कान आएगी उनकी आंखों के चमक आपके सालों भी रोशन करती रहेगी आजमा कर देखिए।
✍मोहम्मद हमजा अस्थानवी
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